इटावा – संकटग्रस्त प्रजाति विश्व प्रसिद्ध घड़ियालों व मगरमच्छों सहित कई प्रकार के कछुओं, विभिन्न प्रजातियों के लोकल व माइग्रेटरी पक्षियों, राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन (सूँस) के प्राकृतिक वास के लिये दुनियाँ भर में मशहूर यह एक मात्र विशाल ट्राइस्टेट इको रिजर्व (यूपी,एमपी,राजस्थान) में फैला राष्ट्रीय वन्यजीव विहार, राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी इस समय बाढ़ की विभीषिका से जुझ रहा है। इस बार बड़ी अच्छी संख्या में चम्बल नदी में घड़ियालों के छोटे छोटे बच्चे पानी मे देखने को मिले थे।
इस बार घड़ियालों के 1504 बच्चे चम्बल नदी के पानी में छोड़े गये। जो कि पानी मे अठखेलियां करते भी नजर आते थे। वहीँ से 700 अंडे लखनऊ कुकरैल भी भेजे गये । सेंचुरी क्षेत्र के वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष इटावा रेंज में घड़ियालों के 55 घोंसलों में से कुल 1504 बच्चे अंडो से निकले थे।
बस थोड़ी चिंतनीय बात यह है कि, अंडो से निकले बच्चे अक्सर ही प्राकृतिक शिकारी बाज, या अन्य जीव जन्तुओ के शिकार भी हो जाते है जिनमे कई शिकारी पक्षी इन्हें अपना भोजन भी बना लेते है क्यों कि ये किनारे ही तैरते है गहरे पानी मे नही जा पाते है तभी कुछ पानी मे तैरते बच्चे मगरमच्छो का भी शिकार हो जाते है या फिर जुलाई के माह में नदी के अचानक से जलस्तर बढ़ने पर ये नंन्हे जीव बहुत दूर तक पानी के साथ बह कर भी चले जाते है। तब उस समय साफ पानी मे रहने वाला गाडियाल नदी का पानी गन्दा होने पर स्वतः ही नदी किनारे आ जाता है तब इनकी संख्या प्राकृतिक प्रकोप व नेचुरल प्रीडेशन के कारण प्राकृतिक रूप से घटती ही है।
चम्बल के एक ग्राम के स्थानीय निवासी महेंद्र सिंह चौहान बताते है कि चम्बल नदी में अब इस समय बढे हुये जलस्तर में कोई भी जीव दिखाई ही नही दे रहा है बस चारों तरफ जल ही जल दिखाई दे रहा है।