कोरोना के लक्षण उभरने के सात दिन तक तो मरीज में वायरस की संख्या बढ़ने और हवा में उसका प्रसार होने की आशंका बहुत अधिक रहती है लेकिन 8-10वें दिन यह वायरस कमजोर पड़ जाता है।
लाइफस्टाइल : कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों से कितने दिन तक स्वस्थ इंसान को खतरा रह सकता है, ये बड़़ा सवाल था जिसका समाधान अब वैज्ञानिकों ने तलाश लिया है। कोरोना वायरस की जद में आने के 11 दिन बाद ज्यादातर मरीजों से दूसरे मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर हो जाता है। सिंगापुर स्थित राष्ट्रीय संक्रामक रोग केंद्र (एनसीआईडी) के हालिया अध्ययन में यह दावा किया गया है।
शोधकर्ताओं ने अलग-अलग अस्तपालों में भर्ती 73 संक्रमितों से वायरस के प्रसार का खतरा आंका गया। उन्होंने पाया कि लक्षण उभरने के सात दिन तक तो मरीज में वायरस की संख्या बढ़ने और हवा में उसका प्रसार होने की आशंका बहुत अधिक रहती है, लेकिन आठवें से दसवें दिन के भीतर यह वायरस कमजोर पड़ने लगता है और 11वां दिन बीतते-बीतते पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।
एनसीआईडी के निदेशक प्रोफेसर लियो यी सिन कहते हैं, ताजा अध्ययन दर्शाता है कि संक्रमण के लक्षण उभरने के 11 दिन बाद मरीज और लोगों के लिए खतरनाक नहीं रह जाता है। ऐसे में गृह मंत्रालय चाहे तो कोरोना संक्रमितों को अस्पताल से छुट्टी देने के नियम में बदलाव कर सकता है। उन्होंने दावा किया कि अगर गृह मंत्रालय शोध के नतीजों पर यकीन कर डिस्चार्ज नियम बदलता है तो तकरीबन 80 फीसदी संक्रमितों को सर्दी, जुकाम, बुखार जैसे लक्षण सामने आने के 11 दिन बाद ही घर भेजना मुमकिन होगा।
रिसर्च में शामिल डॉक्टर अशोक कुरूप की मानें तो शोध के नतीजे बेहद सटीक हैं। इन्हें कोविड-19 से जूझ रहे ज्यादातर मरीजों पर लागू करना सुरक्षित है, फिर चाहे वे गंभीर रूप से ही संक्रमित क्यों न हों। हालांकि, गंभीर रूप से बीमार मरीजों को लंबे समय तक सघन चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। इसलिए अलग रखने की आवश्यकता न होने के बावजूद उन्हें 11 दिन बाद छुट्टी देना मुनासिब नहीं रहेगा, क्योंकि वे दूसरों में संक्रमण भले ही न फैलाएं, लेकिन उनकी खुद की जान को खतरा हो सकता है।